ठाकुरजी के नानी बाई का भाई बन 56 करोड़ का मायरा भरने के प्रसंग का सजीव मंचन पर पांडाल जयकारो से गूंजायमान हो उठा।
ठाकुरजी के नानी बाई का भाई बन 56 करोड़ का मायरा भरने के प्रसंग का सजीव मंचन पर पांडाल जयकारो से गूंजायमान हो उठा।
नानी बाई का मायरा कथा का समापन:नरसी का रखने मान -
नानीबाई का मायरा लेकर राधा रूक्मणी संग पहुंचे ठाकुरजी भगवान
धर्मराज पवार
भीलवाड़ा के महेश भवन सांगानेर कोठारी नदी के किनारे तीन दिवसीय नानी बाई का मायरा कथा के अंतिम दिन को भक्ति की धारा से पूरा माहौल धर्ममय हो उठा। भक्तों का सैलाब इस कदर उमड़ा कि महेश भवन परिसर के विशाल हॉल में भी बैठने के लिए जगह मिलना मुश्किल हो रहा था।
नानी बाई का मायरा कथा के अंतिम दिवस व्यास पीठ से कथावाचक गौवत्स पं. विष्णुश्री कृष्णतनय महाराज के मुखारविंद विद से नरसीजी मेहता के नानी बाई का मायरा भरने से जुड़े विभिन्न प्रसंगों का भक्तिभाव के साथ कई दृष्टान्त देते हुए वाचन किया तो भक्तगण भावविभोर हो उठे। कथा के दौरान भक्ति से ओतप्रोत माहौल में भक्तगण गीतों व भजनों पर जमकर नृत्य करते रहे। ठाकुरजी के नानी बाई का भाई बन 56 करोड़ का मायरा भरने के प्रसंग का सजीव मंचन पर पांडाल जयकारो से गूंजायमान हो उठा।
इस दौरान सजीव झांकियों का प्रदर्शन कर बताया गया कि किस तरह भगवान सेठ का रूप बनाकर नरसीजी मेहता के पास पहुंचते है ओर वह जब मायरा भरने बढ़ते है तो साथ चल रहे सूरदास संतों को भी नेत्र ज्योति मिल जाती है। कुबेर का खजाना मायरे में भर देने से सभी नानी बाई से पूछने लगते है कि तेरा यह वीरा(भाई) कहां से आया है। संतश्री ने कहा कि नरसीजी मेहता के चरित्र से भगवान के प्रति मनुष्य का विश्वास बढ़ता है। व्यक्ति के प्रारब्ध व पुरूषार्थ के कारण ही सब काम होते है। नानी बाई का मायरा कथा यही शिक्षा देने के लिए है कि भगवान के प्रति अपनापन ओर अटूट आस्था रखो वह आपका कोई काम भी अधूरा नहीं रहने देंगा।
गौवत्स पं विष्णुश्री कृष्णतनय महाराज ने कहा कि अपनी परम्पराओं और संस्कृति की रक्षा अवश्य करे, तभी हमारा भविष्य सुखद होगा। जीवन में कितनी भी प्रगति कर ले पर अपने मूल संस्कार मत भूले। हर सनातनी भक्त का परिचय तिलक रहा है। प्रतिदिन सिर पर तिलक अवश्य लगाना चाहिए। सिर पर चोटी रखना भी धर्म की पहचान है। उन्होंने इस बात पर खेद जताया कि हम आधुनिकता के नाम पर अपनी परम्परा व संस्कारों से दूर होते जा रहे है। इंसान को सिर पर तिलक लगाने में शर्म आती है लेकिन शादी में तिलक लेने में हिचक नहीं होती।
Like
Dislike
Love
Angry
Sad
Funny
Wow
Comments 0