मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण होने का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण होने का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
पतंगबाजी से बैलों की पूजा तक, जानें कैसे देशभर में मनाई जाती है मकर संक्रांति
नई दिल्ली। मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है, जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने और उत्तरायण होने का प्रतीक है। यह त्योहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाएगा, जबकि 2024 में यह तारीख 15 जनवरी थी। इस दिन कहीं पतंगबाजी होती है तो कहीं बैलों की पूजा की जाती है। मकर संक्रांति सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है। इस दिन को फसल कटाई और नई शुरुआत का पर्व माना जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे भिन्न-भिन्न नामों और तरीकों से मनाया जाता है।
*पर्व की परंपरा और महत्व:*
मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सूर्य उत्तरायण होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। तिल, गुड़, चावल, कपड़े और अनाज का दान करना शुभ माना जाता है। खिचड़ी इस दिन का खास भोजन है। उत्तर भारत में इसे प्रसाद के रूप में तैयार किया जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर उत्तर भारत, विशेष रूप से बिहार और झारखंड में, बैलों (बैक) की पूजा की परंपरा प्रचलित है। इसे कृषि और पशुधन के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रतीक माना जाता है।
*पतंगबाजी:*
मकर संक्रांति के मौके पर पतंगबाजी खास आकर्षण का केंद्र होती है, खासकर गुजरात, राजस्थान, और उत्तर भारत के कई राज्यों में। यह परंपरा न केवल एक मनोरंजन का साधन है, बल्कि इसे सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी माना जाता है। अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव का आयोजन किया जाता है, जहां भारत और दुनिया भर से लोग हिस्सा लेने आते हैं। राजस्थान में पतंगबाजी का खास महत्व है। जयपुर और जोधपुर जैसे शहरों में संक्रांति पर छतों से पतंग उड़ाने का नजारा देखने लायक होता है।
*देशभर में मनाने के तरीके उत्तर भारत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड:*
उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से भी जाना जाता है। इस त्योहार का मुख्य आकर्षण गंगा स्नान, दान-पुण्य, और खिचड़ी का प्रसाद है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक, और पारिवारिक मूल्यों को महत्व देता है। मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, में स्नान करते हैं। इसे पुण्य और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर चावल और उड़द दाल से बनी खिचड़ी खाने और प्रसाद के रूप में चढ़ाने की परंपरा है। इसमें घी और अचार का स्वाद जोड़कर इसे और खास बनाया जाता है।
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति
इस दिन विभिन्न मेलों का आयोजन होता है, जैसे प्रयागराज में माघ मेले की शुरुआत। लोग गंगा किनारे खिचड़ी बनाकर खाते हैं और दिन भर मेलों का आनंद लेते हैं। गांवों और शहरों में लोग इस दिन सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं। बुजुर्ग, महिलाएं, और बच्चे सभी मिलकर त्योहार का आनंद लेते हैं।
*बिहार और झारखंड में मकर संक्रांति:*
बिहार और झारखंड में मकर संक्रांति पर खिचड़ी का विशेष महत्व है। इसे पर्व का मुख्य भोजन माना जाता है। खिचड़ी के साथ घी, अचार, और पापड़ परोसे जाते हैं। “खिचड़ी दान” का महत्व है, जिसमें चावल, दाल, तिल और अन्य खाद्य सामग्री का दान किया जाता है। महिलाएं पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और त्योहार का आनंद लेती हैं। झारखंड में आदिवासी समुदाय भी मकर संक्रांति को अपने पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाते हैं।
*पश्चिम भारत गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र:*
पश्चिम भारत के राज्यों गुजरात, राजस्थान, और महाराष्ट्र में मकर संक्रांति को अलग-अलग रीति-रिवाजों और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां का त्योहार रंग-बिरंगी परंपराओं और सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक है।
*गुजरात:—:* यहां मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से जाना जाता है। यह दिन खुशी, नई ऊर्जा और फसल कटाई का प्रतीक है। गुजरात में मकर संक्रांति पतंगबाजी के बिना अधूरी है। हर घर की छत से रंग-बिरंगी पतंगें उड़ती हैं, और “काइट फेस्टिवल” जैसे बड़े आयोजन होते हैं। अहमदाबाद में आयोजित होने वाला अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्सव दुनिया भर में प्रसिद्ध है। तिल-गुड़ के लड्डू, चक्की, और गजक जैसे मीठे व्यंजन इस दिन बनाए जाते हैं। परिवार और दोस्तों के बीच मिठाइयां बांटने की परंपरा है।
*महाराष्ट्र:—:* महाराष्ट्र में मकर संक्रांति महिलाओं के लिए खास महत्व रखती है। महिलाएं हल्दी-कुंकुम समारोह आयोजित करती हैं, जिसमें वे एक-दूसरे को हल्दी-कुंकुम लगाकर शुभकामनाएं देती हैं। इस दौरान तिल-गुड़ की मिठाइयां और छोटी उपहारें दी जाती हैं। इस दिन पारंपरिक महाराष्ट्रीयन भोजन जैसे पूरनपोली और तिल से बने लड्डू बनाए जाते हैं।
*राजस्थान:—:* राजस्थान में खासकर जयपुर में मकर संक्रांति बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। सुबह से शाम तक छतों पर लोग पतंग उड़ाने में व्यस्त रहते हैं। “वो काटा!”, “आई बोस”, और “लपेटा!” जैसे चिल्लाते शब्द पतंगबाजी के मजे को और बढ़ा देते हैं। तिल-गुड़ के लड्डू और गजक का आदान-प्रदान किया जाता है। साथ ही विशेष राजस्थानी पकवान जैसे दाल-बाटी-चूरमा और बाजरे की रोटी भी बनाए जाते हैं।
*दक्षिण भारत तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश:*
तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाया जाता है। यह चार दिन का उत्सव होता है, जिसमें किसान सूर्य देव को धन्यवाद देते हैं। आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में यह संक्रांति के रूप में मनाया जाता है, जहां घरों को रंगोली से सजाया जाता है। वहीं, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस दिन अप्पालू बनाने जाते हैं। यह एक साउथ इंडियन डिश है। इसको गेहूं, चावल के आटे और गुड़ के साथ मिलाकर तेल में फ्राई करके बनाया जाता है।
*पश्चिम बंगाल, पंजाब और हरियाणा:*
पश्चिम बंगाल में इसे पौष संक्रांति कहते हैं। इस दिन गंगा सागर में स्नान और तिल-गुड़ के पकवान बनाने की परंपरा है। वहीं, पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में एक दिन पहले मनाया जाता है। आग जलाकर भांगड़ा-गिद्दा किया जाता है और रेवड़ी, गजक, मूंगफली बांटी जाती है।
*असम- ओडिशा:*
असम में इसे भोगाली बिहू के रूप में मनाते हैं। पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं, और बांस की झोपड़ी जलाने की परंपरा है। ओडिशा में इसे मकर मेला कहते हैं। भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है जो न केवल प्रकृति और खेती-बाड़ी से जुड़ा हुआ है, बल्कि इसे मानव जीवन के सकारात्मक बदलावों और नए उत्साह के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।
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