जोधपुर। संजीवनी सोसाइटी घोटाल के पीड़ितों ने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में बीजेपी का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. पीड़ितों ने भाजपा के बहिष्कार के लिए शपथ भी ली
जोधपुर। संजीवनी सोसाइटी घोटाल के पीड़ितों ने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में बीजेपी का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. पीड़ितों ने भाजपा के बहिष्कार के लिए शपथ भी ली
संजीवनी सोसाइटी घोटाला, पीड़ितों ने किया भाजपा के बहिष्कार का ऐलान
जोधपुर। संजीवनी सोसाइटी घोटाल के पीड़ितों ने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में बीजेपी का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. पीड़ितों ने भाजपा के बहिष्कार के लिए शपथ भी ली है.
जोधपुर. संजीवनी क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी के पीड़ित संघ ने भाजपा का बहिष्कार करने की घोषणा की है. पीड़ित संघ ने केंद्रीय मंत्री एवं जोधपुर से भाजपा उम्मीदवार गजेंद्र सिंह शेखावत के खिलाफ बड़ा मोर्चा खोल दिया है. पीड़ितों ने भाजपा के बहिष्कार के लिए शपथ भी ली है. संघ ने एक शार्ट मूवी भी रिलीज की है, जिसमें उन्होंने अपनी आपबीती साझा की है. संघ इसके लिए शेखावत को जिम्मेदार बता रहे हैं. पीड़ित संघ ने कहा कि हाईकोर्ट की राहत के चलते वे बचे हुए हैं.
बता दें कि गजेंद्र सिंह शेखावत अपने चुनाव प्रचार में लगातार यह बात कह रहे हैं कि पूर्ववर्ती सरकार ने उनको झूठे मामलों में फंसाने में लगी हुई थी. शेखावत ने आरोप लगाया कि इसके लिए कोर्ट में वकीलों पर ही 40 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है. वो लगातार कह रहे हैं कि उनकी संजीवनी घोटाले में कोई भूमिका नहीं थी.
सघ ने कहा रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट है : संजीवनी पीड़ित संघ के अध्यक्ष शांतिस्वरूप वर्मा ने आरोप लगाया कि इस मामले की पहली चार्जशीट में ही शेखावत का कई जगह नाम था, लेकिन चार्जशीट पूरक रखी गई थी. बाद में जांच बढ़ने के साथ आरोपी बढ़ते गए. बाद में शेखावत को हाईकोर्ट से राहत मिल गई और गिरफ्तारी पर रोक लग गई. इसमें सरकारी वकील की गलती थी. इसे सुधारने के लिए एसओजी ने फिर एक रिपोर्ट कोर्ट में सबमिट कर दी, लेकिन उसके बाद से अभी तक सुनवाई नहीं हो पा रही है. उन्होंने दावा किया कि उस रिपोर्ट में शेखावत की भूमिका का वर्णन किया गया है.
दो लाख पीड़ित है. , संजीवनी के : संजीवनी पीड़ित संघ के अध्यक्ष ने बताया कि जब यह घोटाला हुआ, तो मालिक विक्रमसिंह भूमिगत हो गया. इसके बाद सबसे पहले हम गजेंद्र सिंह शेखावत से मिलने गए और उनको अपनी स्थिति बताई थी, लेकिन कभी उन्होंने लोकसभा में हमारी आवाज नहीं उठाई. संजीवनी में दो लाख 13 हजार लोगों ने निवेश किया था. सर्वाधिक शाखाएं पश्चिमी राजस्थान में थी, जिसके चलते पीड़ित भी यहीं के हैं.
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