भीलवाड़ा/ शाहपुरा/ रायला/राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्य में नए जिलों की घोषणा के साथ ही शाहपुरा को भीलवाड़ा जिले से तोड़कर जिला बना दिया
भीलवाड़ा/ शाहपुरा/ रायला/राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्य में नए जिलों की घोषणा के साथ ही शाहपुरा को भीलवाड़ा जिले से तोड़कर जिला बना दिया
शाहपुरा जिले के सीमांकन को लेकर आंदोलन जारी।
शाहपुरा जिला कार्यालय विधिवत शुभारंभ
पहले फूल बरसाए, अब पत्थर ।
शाहपुरा में मंगल, बाहर दंगल।
रायला को भीलवाड़ा जिले में शामिल करने के लिए असफल बंद प्रदर्शन , तहसील बनाने की मांग।
गोपाल वैष्णव
भीलवाड़ा/ शाहपुरा/ रायला/राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा राज्य में नए जिलों की घोषणा के साथ ही शाहपुरा को भीलवाड़ा जिले से तोड़कर जिला बना दिया। शाहपुरा जिले के जद में आने वाले गुलाबपुरा, हुरडा को भीलवाड़ा में शामिल किए जाने के मामले में राजस्व मंत्री रामलाल जाट ने अपने पद और सत्ता का उपयोग करते हुए शाहपुरा से हटाकर भीलवाड़ा में शामिल करा दिया जाने से लोगों ने उनका पुतला फूंका । वही स्थानीय विधायक कैलाश मेघवाल का भी पुतला जलाया। गुलाबपुरा हुरडा के लोगों ने भीलवाड़ा में जाने के लिए खास कोई धरना प्रदर्शन नहीं किया। शाहपुरा के बार एसोसिएशन, व्यापारी गण, आम जनता हुरडा और गुलाबपुरा को भीलवाड़ा जिले में रखने का भारी विरोध हो रहा है। गुलाबपुरा हुरडा की राजस्व आय से शाहपुरा जिला वंचित हो गया। पिछले 5 दिनों से शाहपुरा में जनता का भारी विरोध चल रहा था। इस बीच आज दिनांक 7 अगस्त 2023 को राज्य सरकार की ओर से शाहपुरा में विधि विधान और धार्मिक अनुष्ठान से सक्रिय कर जिले का शुभारंभ कर दिया । शुभारंभ अवसर पर जिला कलेक्टर कार्यालय पर यज्ञ अनुष्ठान किए जा रहे थे और जिला कार्यालय के बाहर विरोधियों का आक्रोश बढ़ता जा रहा था। आक्रोश को देखते हुए पुलिस ने भी आंदोलनकारियों को खदेड़ने के लिए अपने तेवर दिखा दिए। और आंदोलनकारी मौके से भाग छूटे। नवसृजित जिला शाहपुरा की बनेड़ा तहसील के राजस्व गांव रायला को शाहपुरा में शामिल किए जाने का विरोध चौराहे पर टायर जलाकर किया।रायला संघर्ष समिति (इस समिति के धणी धोरी /पदाधिकारी अघोषित है) ने रायला को भीलवाड़ा जिले में रखे जाने तथा तहसील बनाने की मांग की है। यह मांग पत्र राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री, भीलवाड़ा जिला कलेक्टर भीलवाड़ा, राजस्व मंत्री, स्थानीय विधायक कैलाश मेघवाल के नाम रायला नायब तहसीलदार गोपाल जीनगर को सौंप कर मांग की है।
ध्यान देने वाली बात
राज्य में सत्ता कांग्रेस की है और विपक्ष में बैठने वाले शाहपुरा बनेड़ा विधायक कैलाश मेघवाल भाजपा के हैं मेघवाल ने हुरडा गुलाबपुरा को भीलवाड़ा जिले में शामिल किए जाने के बावजूद शाहपुरा के लिए विरोध नहीं किया।इसका मतलब यह हुआ की कैलाश मेघवाल सत्ता विरोधी होते हुए भी सता पक्ष में हो गए । और मेघवाल से खफा लोगों ने मंत्री रामलाल जाट के साथ-साथ कैलाश मेघवाल का पुतला जला दिया ।
😄😄😄अब एक नजर रायला पर😃😃
रायला बनेड़ा तहसील का सबसे बड़ा गांव है। बनेड़ा तहसील से ज्यादा रायला उप तहसील से सरकार को रेवेन्यू ज्यादा जाता है ।😀 रायला नेशनल हाईवे रेल लाइन से जुड़ा हुआ है।😀 उद्योग की दृष्टि से औद्योगिक क्षेत्र रीको बना हुआ है। उप तहसील क्षेत्र में 11 पंचायतें बनेड़ा तहसील की जुड़ी हुई है।😃।
शाहपुरा जिले में रायला को देने के बाद उप तहसील क्षेत्र का दायरा 8 पंचायतों में सिमट गया। रायला उप तहसील से जो 3 पंचायतें कटी उसमें से 2 पंचायतें बेरा, रूपाहेली खुर्द मांडल तहसील जिला भीलवाड़ा में चली गई। 1 पंचायत बालेसरिया तहसील बनेड़ा जिला शाहपुरा में चली गई।
सरकार की मंशा देखिए रायला पर तहसील और उपखंड की आवश्यकता थी उस क्षेत्र का दायरा ही छोटा कर दिया। विकास और राजस्व आय के दृष्टिकोण से देखा जाए तो रायला को तहसील का दर्जा दिया जाना चाहिए। और इस तहसील में पूर्व पश्चिम उत्तर दक्षिण से 15 किलोमीटर के परिधि में आने वाली कम से कम 20 पंचायतें शामिल हो सकती है। और जहां तहसील में 20 पंचायत हो तो उपखंड मुख्यालय का दर्जा भी दिया जा सकता है।
सुधी पाठकों को यह बता देना की उचित समझूंगा कि रायला थाना क्षेत्र की परिधि में आने वाली पंचायतों को रायला तहसील में शामिल किया जा सकता है।
😃😃 अब बात रायला के राजनीतिक मुद्दे की।😃
रायला में कुल 19 वार्ड है सरकार चाहे तो एक वार्ड और बढ़ा सकती है। रायला की अनुमानित जनसंख्या 16500 हैं, अनुमानित वोटर संख्या 7500 हैं। यदि तहसील का दर्जा रायला को प्राप्त होता है तो सन 2029 में आने वाले चुनाव के दौरान एक अनुमान हैं कि 11000 वोटर हो जाएंगे। तो नियम अनुसार नगरपालिका भी घोषित की जा सकती । रायला के विकास के पंख और लग सकते हैं।
😃😃 शाहपुरा जिले में रायला को शामिल किए जाने के विरोध में सिर्फ सरपंच गीता देवी जाट को छोड़कर वर्तमान एवं पूर्व के जनप्रतिनिधि शामिल नहीं हुए। कांग्रेस नीत युवा नेता रायला को शाहपुरा में ले जाने का विरोध कर रहे हैं। तो सवाल खड़ा होता है कि रायला में भाजपा का गढ़ चलाने वाले जनप्रतिनिधि, जागरूक नेता आंदोलन में सहयोग करने में पीछे क्यों है? यदि रायला के आंदोलन को युवा नेताओं के भरोसे छोड़ दिया जाए तो फिर आने वाले चुनाव में वर्तमान और पूर्व के जनप्रतिनिधि खुद चुनाव लड़ने के लिए खड़े ना हो कर इन युवाओं को ही राजनीतिक चुनाव लड़ावावें ।
हालांकि युवा कांग्रेसी नेताओं की मांगे पुरी न हो जाने तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दे डाली है। अब काम सिर्फ और सिर्फ युवा नेताओं के हाथ में है। अब यह युवा सरकार से अपनी मांगे मनवा कर छोड़ेंगे या फिर मैदान ही छोड़ देंगे।
बनेड़ा में भी शाहपुरा जिले का विरोध किया जा रहा है और भीलवाड़ा जिले में शामिल किए जाने की मांग की जा रही है।
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