भीलवाड़ा। विश्व आयोडीन दिवस के अवसर पर शनिवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें नमक के थोक व्यापारी विक्रेताओं एवं नर्सिंग विद्यार्थियों को आयोडीन की महत्त्ता एवं उपयोग के बारे में विस्तार जानकारी देकर आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करने की जानकारी दी
विश्व आयोडीन दिवस के अवसर पर कार्यशाला का हुआ आयोजन
आयोडीन शरीर और दिमाग दोनों के विकास के लिए बेहद जरूरी
भीलवाड़ा। विश्व आयोडीन दिवस के अवसर पर शनिवार को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें नमक के थोक व्यापारी विक्रेताओं एवं नर्सिंग विद्यार्थियों को आयोडीन की महत्त्ता एवं उपयोग के बारे में विस्तार जानकारी देकर आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करने की जानकारी दी। कार्यशाला के दौरान फूड इंस्पेक्टर मनीष शर्मा, नर्सिंग अधिकारी चंद्रदेव आर्य, एनजीओ से उदयलाल समदानी, डाटा मैनेजर तरुण चाष्टा, महेश शर्मा, बुधराज चावला, नमक विक्रेताओं सहित स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनधियों सहित अन्य कार्मिक मौजूद रहे।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ0 मुस्ताक खान ने बताया कि गर्भवती महिला में आयोडीन की कमी होने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। इसकी कमी बौनेपन, मृत शिशु के जन्म और गर्भपात की वजह बन सकता है। यही बात को लोगों तक पहुंचाने व समझाने के उद्देश्य से हर साल यह दिन मनाया जाता है। आयोडीन मानव के शरीर और दिमाग दोनों के ही विकास के लिए जरूरी है। शरीर में आयोडीन की पूर्ति भोजन में नमक द्वारा मिलती है। मतलब हर दिन एक निर्धारित मात्रा में आयोडीन की हमें जरूरत होती है।
नर्सिंग अधिकारी चन्द्रदेव आर्य ने कार्यशाला में सर्वप्रथम लोगों को शरीर के लिए आयोडीन की आवश्यकता के बारे में बताने और समझाने की बात कही। उन्होंने कहा कि आयोडीन की कमी से सिर्फ गर्भवती मां और होने वाला बच्चा ही प्रभावित नहीं होता, बल्कि ऐसे भी कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- जैसे घेंघा रोग, बच्चों में मानसिक मंदता, अपंगता, गूंगापन, बहरापन आदि। इसके बचाव के लिए आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों को भोजन में शामिल करना बेहद जरूरी है।
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