आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ), द्वारा चंद्र मिशन के दौरान भारत के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्र यान 3 चंद्रमा की सतह पर आज शाम 6.04 बजे लैंड करेगा।
आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ), द्वारा चंद्र मिशन के दौरान भारत के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्र यान 3 चंद्रमा की सतह पर आज शाम 6.04 बजे लैंड करेगा।
चंद्र यान 3, कुछ ही समय में चंद्र यान चांद को चूमेगा
आज शाम 6.04बजे चांद पर रखेगा कदम, विश्व में आज भारत रचेगा इतिहास
, लैंडिग के दौरान आखिरी पल का विश्व कर रहा इंतजार
चंद्रयान 3 का चंद्रमा पर काउंट डाउन शुरू
आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो ), द्वारा चंद्र मिशन के दौरान भारत के वैज्ञानिकों द्वारा चंद्र यान 3 चंद्रमा की सतह पर आज शाम 6.04 बजे लैंड करेगा। भारत दुनिया का पहला देश होगा जो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर कोई यान पहुंचाएगा। इसरो के चंद्रयान 3, लैंड रोवर आधारित मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास 68 और 70 डिग्री, निर्देशांक 31और 33 डिग्री के बीच दो क्रेटर क्षेत्र मजीनस और बोगुस्लैस्की के पठार में उतारने का प्रस्ताव है।
चंद्र यान 3 की सॉफ्ट लैंडिंग का संपूर्ण विश्व को इंतजार है। चंद्र यान 3 की सफल लैंडिंग के लिए देश के कई स्थानों पर धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। इस वक्त 22 से 24 अगस्त तक आयोजित होने वाले 15वें ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दक्षिण अफ्रीका में हैं। पीएम नरेंद्र मोदी दक्षिणी अफ्रीका से वर्चुअल जुड़ेंगे।
इसरो ने कहा है कि मॉड्यूल को आंतरिक जांच से गुजरना होगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करना होगा. उसने कहा कि चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए प्रक्रिया बुधवार शाम लगभग 5:45 बजे शुरू होने की उम्मीद है। निर्धारित लैंडिंग से एक दिन पहले, इसरो ने कहा, ''मिशन तय कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहा है. प्रणालियों की नियमित जांच की जा रही है। सुचारू संचालन जारी है.'' चार में से दो इंजन बंद कर दिए जाएंगे
इसरो के अनुसार, यह देखते हुए कि लगभग 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर, केवल दो इंजन का उपयोग किया जाएगा, अन्य दो को बंद कर दिया जाएगा, जिसका उद्देश्य लैंडर को 'रिवर्स थ्रस्ट' देना होता है, लगभग 150-100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंचने पर लैंडर अपने सेंसर और कैमरों का उपयोग करके सतह को स्कैन करेगा । ताकि यह जांचा जा सके कि कोई बाधा तो नहीं है और फिर वह सॉफ्ट-लैंडिंग करने के लिए नीचे उतरना शुरू करेगा।
चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करते ही इतिहास रच देगा. ऐसे करते ही भारत दुनिया का पहला देश होगा जो चांद के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर पहुंचेगा।कुछ दिन पहले इस कोशिश में रूस का लूना-25 नाकाम हो चुका है। ऐसे में भारत के चंद्रयान-3 मिशन की अहमियत बढ़ गई है।
पूरी दुनिया की निगाहें इस मिशन पर है। चंद्रयान 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2.30 बजे चंद्रयान-3 मिशन लॉन्च किया गया अगर चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिली तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान-3 मिशन को पूरा करने में 700 करोड़ रुपये से भी कम लागत आई है। ये मिशन 615 करोड़ रुपये में फाइनल हो गया है। ये रकम हाल ही में रिलीज हुई फिल्म Oppenheimer के बजट से भी कम है Oppenheimer फिल्म बनाने में करीब 830 करोड़ रुपये की लागत आई। वहीं, फिल्म Barbie तो चंद्रयान 3 की लागत से करीब दोगुने 1200 करोड़ रुपये में बनी है।
चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था।इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं।
लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे। प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा। चंद्रयान-3 में लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं।लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे और 14 दिन तक वहां प्रयोग करेंगे प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन करेगा।चंद्रयान-3 के चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग बड़ी अहम मानी जा रही है। इस मिशन के जरिए इसरो पता लगाएगा कि चांद की सतह पर भूकंप कैसे आते हैं।यह चंद्रमा की मिट्टी का अध्ययन भी करेगा।
चंद्रयान-2 से सबक लेकर चंद्रयान-3 में कई सुधार किए गए हैं। लक्षित लैंडिंग क्षेत्र को 4.2 किलोमीटर लंबाई और 2.5 किलोमीटर चौड़ाई तक बढ़ा दिया गया है।चंद्रयान-3 में लेजर डॉपलर वेलोसिमीटर के साथ चार इंजन भी हैं, जिसका मतलब है कि वह चंद्रमा पर उतरने के सभी चरणों में अपनी ऊंचाई और अभिविन्यास को नियंत्रित कर सकता है।
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